तुम इतने भी दूर नहीं
जितनी अधरोँ से मुस्कान
तुम इतने भी दूर नहीं
जितना भ्रमरोँ से गान
कभी दूर हो जाते इतना
जितना कि प्राची से रवि
कभी दूर हो जाते इतना
जितना कि कविता से कवि
फिर भी तेरे होने का
इतना एहसास होता है
जितना कि सूरज खुद
किरनोँ के पास होता है
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